सोमवार, 4 अगस्त 2008

श्री हनुमत साठिका

" अथ श्री हनुमत साठिका "
     " चौपाईयाँ "
जय जय जय हनुमान अडंगी, महावीर विक्रम बजरंगी ।
जय कपीश जय पवन कुमारा, जय जगवंदन शील आगारा ॥
जय आदित्य अमर अविकारी, अरि मर्दन जय जय गिरधारी ।
अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा, जय जयकार देवतन कीन्हा ॥
बाजै दुन्दुभि गगन गम्भीरा, सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ।
कपि के डर गढ़ लंक सकानी, छुटि बंदि देवतन जानी ॥
ॠषि समुह निकट चलि आये, पवनतनय के पद सिर नाये ।
बार बार अस्तुति करि नाना, निर्मल नाम धरा हनुमाना ॥
सकल ॠषिन मिलि अस मत ठाना, दीन बताय लाल फल खाना ।
सुनत वचन कपि मन हरषाना, रवि रथ उदय लाल फल जाना ॥
रथ समेत कपि कीनि अहारा, सुर्य बिना भयौ अति अंधियारा ।
विनय तुम्हार करैं अकुलाना, तब कपीरा की अस्तुति ठाना ॥
सकल लोक वृतांत  सुनावा, चतुरानन तब रवि उगलावा ।
कहा बहोरि सुनो बलशीला, रामचन्द्र करि हैं बहु लीला ॥
तब तुम उन कर करव सहाई, अबहीं बराहु कानन में जाई
अस कहि विधि निज लोक सिधारा, मिले सखा संग पवनकुमारा ॥
खेलें खेल महा तरु तोरें, ढेर करें बहु पर्वत फोरें ।
जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई, गिरि समेत पातालहिं जाई ॥
कपि सुग्रीव बालि को त्रासा, निरख रहे राम धनु आसा ।
मिले राम तहाँ पवन कुमारा, अति आनन्द सप्रेम दुलारा ॥
मणि मुँदरी रघुपति सो पाई, सीता खोज चले सिर नाई ।
शत योजन जलनिधि विस्तारा, अगम अपार देवतन हारा ॥
जिमि सर गोखुर सरिस कपीशा,  लांघि गये कपि कहि जगदीशा ।
सीता चरण सीस तिन नाये, अजर अमर के आशिष पाये ॥
रहे दनुज उपवन रखवारी, एक से एक महाभट भारी ।
जिन्हें मारि पुनि गयेउ कपीशा, दहेउ लंक कोप्यो भुजबीसा ॥
सिया बोध दैं पुनि फिर आये, रामचन्द्र के पद सिर नाये ।
मेरु उपारि आपु छिन माहीं, बाँधे सेतु निमिष इक माहीं ॥
लक्ष्मण शक्ति लागी जबहीं,  राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ।
भवन समेत सुखेण लै आये, तुरत सजीवन को पुनि धाये ॥
मग महं कालनेमि कहं मारा, अमित सुभट निशिचर संहारा ।
आनि सजीवन गिरि समेता, धरि दीन्हीं जहं कृपानिकेता ॥
फनपति केर शोक हरि लीन्हा, वरषि सुमन सुर जय जय कीन्हा ।
अहिरावण हरि अनुज समेता, ले गयो तहां पाताल निकेता ॥
जहां रहे देवि अस्थाना , दीन चहै बलि काढ़ि कृपाणा ।
पवनतनय प्रभु कीन गुहारी, कटक समेत निशाचर मारी ॥
रीछ कीशपति सबै बहोरी, राम लखन कीने इक ठोरी ।
सब देवतन की बंदि छुड़ाये ,सो कीरति मुनि नारद गाये ॥
अक्षयकुमार दनुज बलवाना, सानकेतु कहं सब जगजाना ।
कुम्भकरण रावण कर भाई, ताहि निपात कीन्ह कपिराई ॥
मेघनाद पर शक्ति मारा, पवनतनय तब सों बरियारा ।
रहा तनय नारान्तक जाना, पल महं ताहि हते हनुमाना ॥
जहं लगि मान दनुज कर पावा , पवनतनय सब मारि नसावा ।
जय मारुतसुत जय अनुकुला, नाम कृशानु शोक सम तुला॥
जहं जीवन पर संकट होई, रवि तम सम सों संकट खोई ।
बन्दि परै सुमिरे हनुमाना, संकट कटै धरै जो ध्याना ॥
जाको बांध वाम पद दीन्हा, मारुतसुत व्याकुल बहु कीन्हा ।
जो भुजबल का कीन कृपाला, आछत तुम्हें मोर यह हाला ॥
आरत हरन नाम हनुमाना, सादर सुरपति कीन बखाना ।
संकट रहै न एक रती को, ध्यान धरै हनुमान जती को ॥
धावहु देखि दीनता मोरि, कहौं पवनसुत युगकर जोरि ।
कपिपति बेगि अनुग्रह करहु, आतुर आई दुसह दुख हरहु ॥
रामशपथ मैं तुमहिं सुनाया, जवन गुहार लाग सिय जाया ।
पैज तुम्हार सकल जग जाना , भव बंधन भंजन हनुमाना ॥
यह बंधन कर केतिक बाता, नाम तुम्हार जगत सुख दाता ।
करौ कृपा जय जय जगस्वामी, बार अनेक नमामि नमामि ॥
भौमवार कर होम विधाना, सुन नर मुनि वाछिंत फल पावै ।
जयति जयति जय जय जग स्वामी, समरथ पुरुष सुअंतरयामी ॥
अंजनि तनय नाम हनुमाना, सो तुलसी के प्राण समाना ॥
          
  [ दोहे ]
जय कपीश सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान ।
रामलखन सीता सहित, सदा करौ कल्यान ॥
बन्दौ हनुमत नाम यह, मंगलवार प्रमाण ।
ध्यान धरै नर निश्चय,  पावै पद कल्याण ॥
जो नित पढै यह साठिका, तुलसी कहै विचारि ।
रहै न संकट ताहि को , साक्षी हैं त्रिपुरारि ॥
         जय श्रीराम 

7 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

U have a nice blog...

http://spicygadget.blogspot.com/
http://www.shayrionline.blogspot.com/

Science Bloggers Association ने कहा…

बहुत ही सुंदर प्रयास।
------------------
11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवनागलेजी, लम्बे अर्से से कोई रचना या संकलन नहीं आया। आशा है स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे।
शब्द पुष्टिकरण हटा लें तो अच्छा रहेगा।

केवल राम ने कहा…

मेरे ब्लॉग धर्म और दर्शन पर आकर उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका आभार .....आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही मिलता रहेगा ......चलते-चलते पर आपका स्वागत है ...!

Rakesh Kumar ने कहा…

श्री हनुमत साठिका पढकर आनन्द और
भक्ति रस का सुखद अनुभव हुआ.

प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.

मेरे ब्लॉग पर दर्शन देने के लिए और
अपने सुवचनों से मेरा उत्साहवर्धन करने
के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ.

आने वाले नव वर्ष के लिए आपको हार्दिक
शुभकामनाएँ.

"एक सवाल आप के लिए" ने कहा…

jay shri ram

Daisy ने कहा…

Send Holi Gifts Online
Order Birthday Gifts Online
Best Packers Movers Bangalore
Online Cake Delivery
Online Gifts Delivery in India