बुधवार, 11 जून 2008

श्री तुलसी महिमा

जय श्री राम
भगवान श्री हरि शंखचुड़ दैत्य का वध करने के पश्चात सती तुलसी को वरदान देते हुए कहते हैं कि हे तुलसी, तुमने मेरे लिये बहुत तपस्या की है अत:तुम मुझे सबसे प्रिय हो । तुम इस शरीर का त्याग कर दिव्य देह धारण कर सदा मेरे समीप रहोगी । तुम्हारा यह पुराना शरीर प्रसिद्ध "गण्डकी" नदी में बदल जायेगा । तुम्हारे केश से पवित्र पेड़ उत्पन्न होंगे, जो तुम्हारे तुलसी नाम से प्रसिद्ध होंगे । तीनों लोकों में देवताओं की पूजा में प्रयुक्त होने वाले जितने भी पत्र-पुष्प हैं उनमें तुलसी प्रधान मानी जायेगी । स्वर्ग,धरती, पाताल और बैकुंठलोक में सर्वत्र तुम मेरे संनिकट रहोगी । तुलसी पेड़ के नीचे का स्थान परम पवित्र एवं मोक्षदायक होंगे । वहाँ सम्पूर्ण तीर्थों एवं समस्त देवों का भी निवास होगा । तुलसी-पत्र से जिसका अभिषेक हो गया, उसे सम्पूर्ण तीर्थों में स्नान करने एवं समस्त यज्ञों में दीक्षित होने का फल प्राप्त हो गया । हे तुलसी , कोटि सुधा-कलशों के अभिषेक पर मुझे उतनी प्रसन्नता प्राप्त नहीं होती , जितना एक तुलसी-पत्र अपर्ण करने से होती है । हे पतिव्रते, दस हजार गौदान का पुण्य मात्र एक तुलसी-पत्र अपर्ण करने से प्राप्त होता है । मरते समय जिसके मुख में तुलसी- जल पड़ जाय , वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को जाता है । जो मनुष्य नित्यप्रति भक्तिपूर्वक तुलसी- जल ग्रहण करता है उसे गंगास्नान का फल मिलता है । जो मानव प्रतिदिन मुझे तुलसी-पत्र अपर्ण करता है , वह लाख अश्वमेध यज्ञ का पुण्यभागी होता है । जो मनुष्य तुलसी को हाथ में लेकर या शरीर पर रखकर तीर्थ में प्राण त्यागताहै, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है । तुलसी-माला धारण करने से प्रत्येक पग पर अश्वमेध यज्ञ का पुण्यलाभ होता है ।
जो मानव तुलसी को हाथ में लेकर या तुलसी के निकट झुठी शपथ लेता है,वह घोर नरकों में जाता है । जो पूर्णिमा,अमावस्या,द्वादशी और सूर्य-संक्राति को,मध्यान्ह,रात्रि,दोनों संध्याओं, अशौच के समय , तेल लगाकर बिना स्नान ,एंव जूठे कपड़े पहने तुलसी-पत्र तोड़ता है,वह मानों श्री हरि का मस्तक छेदन करते है । श्राध्द , व्रत,दान प्रतिष्ठा तथा देवार्चन हेतु तुलसी-पत्र बासी होने पर भी तीन रात तक पवित्र ही रहता है । धरती पर या जल में गिरा हुआ तथा श्रीहरि को अर्पित तुलसी-पत्र धोकर दुसरे कार्य हेतु शुध्द माना जाता है ।

1 टिप्पणी:

Amit K Sagar ने कहा…

आपको पढ़ना अच्छा लगा...बहुत बहुत शुक्रिया बहुत अच्छे लेख के लिए. आशा है लिखते रहेंगे.
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उल्टा तीर